क्या भूकंप और लैंडस्लाइडिंग में भी खड़ा रहेगा चिनाब ब्रिज? जानिए इसमें कितना भरा है लोहा

इंजीनियरिंग के बेजोड़ नमूने चिनाब ब्रिज की सौगात पीएम मोदी ने देशवासियों को दे दी है. यह ऐतिहासिक पुल न सिर्फ कश्मीर घाटी को भारत से जोड़ता है, बल्कि ताकत के मामले में भी यह बेजोड़ है. 1315 मीटर लंबा यह पुल हिमालय की सख्त जमीन पर तन के खड़ा हुआ है. भारतीय रेलवे के इंजीनियर्स का दावा है कि यह पुल अगले 120 साल तक इसी तरीके से खड़ा रहेगा. साल 2005 में शुरू हुआ इस पुल का काम 2022 में फुल-स्पीड ट्रेनों के सफल ट्रायल के साथ पूरा हुआ था. कई सालों तक चला यह काम आखिरकार 2025 में पूरी तरह से खत्म हो गया और आम जनता के लिए यह खोला जा चुका है. इंजीनियर्स का दावा है कि यह भूकंप या लैंडस्लाइड में भी नहीं गिरेगा. चलिए थोड़ा इस बारे में जान लेते हैं.

एफिल टावर से भी ऊंचा चिनाब ब्रिज

चिनाब ब्रिज को बनाने वाले इंजीनियर्स का दावा है कि 1486 करोड़ रुपये की लागत से बना है और यह एक सदी से भी ज्यादा वक्त तक चलेगा. यह प्राकृतिक परिस्थितियों में भी ऐसे ही रहेगा. इस ब्रिज को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि यह 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी झेल सकता है और -20 डिग्री का तापमान भी झेल सकता है. नदी तल से 359 मीटर ऊंचा बना पुल कटरा और काजीगुंड को जोड़ता है. यह एफिल टावर से भी ऊंचा है.

क्यों भूकंप और लैंडस्लाइड में भी खड़ा रहेगा चिनाब ब्रिज

2.08 किलोमीटर लंबा चिनाब ब्रिज कई मायनों में खास है. इसमें 18.3 मीटर के 99 स्पैन और 72.5 मीटर का एक वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है. इस ब्रिज के ढांचे में 333 पाइल हैं, जिसमें एंटी-कोरोजन टेक्निक, पॉलीसिलॉक्सेन पेंट, उन्नत स्टेनलेस स्टील और फाइबर रिइंफोर्सड प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह पुल लंबे समय तक टिकाऊ बना रहेगा. चिनाब ब्रिज भूकंरीय जोन 5 में आता है और इसी मजबूती की वजह से यह 8 तीव्रता वाले भूकंप को भी सहन कर सकता है.

कितना मजबूत है चिनाब ब्रिज

चिनाब ब्रिज को बनाने में 25,000 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है, जिसमें 14 खंबे शामिल हैं. यह इतना मजबूत है कि अगर एक खंबा टूट भी जाए तो पुल को कुछ नहीं होगा. इसके अलावा एफकॉन्स की मानें तो यह ब्रिज 40 किलो TNT विस्फोट सहन कर सकता है. अगर किसी कारणवश या फिर विस्फोट के चलते खंबा क्षतिग्रस्त हो तो भी ट्रेनें चलती रहेंगी.

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